शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2021

उडने निकला हुँ

पेर रहते नही जमीन पर
सबसे कुछ केहने निकला हु
रेहना नही यहा अब मुजे
खुले आसमान मे उडने निकला हु


जँजीरे सी हाथो मे हो जेसे
नदियां सब आँखो मे हो जेसे
दरिया मे फिर भी बेहने निकला हु
खुले आसमान मे उडने निकला हु

प्रेम कि भक्ति मे डोलने को
दिल के राज खोलने को
इबादत्त कि सिडिया चढने निकला हु
खुले आसमान मे उडने निकला हु

पता हे मुजे कि लुटने निकला हु
खुले आसमान मे उडने निकला हु

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