रविवार, 10 अक्तूबर 2021

आँखे तेरी

कितनी खुबसुरत हे जॆसे कोई नूर
देती हे दिलपर मेरे प्यार का दस्तूर
दुनिया के अजुबो को
कर देती हे चकनाचूर
                    आँखे तेरी

एक उम्मीद लिए हुए हे
एक खुशी लिए हुए हे
एक याद सी हे
एक ख्वाब सी हे
रँगीन हे वो
एक राग सी हे
चेहरा भी वो
ऒर आईना भी हे
देखा नही मगर हुर सी हे
पास होकर भी दुर सी हे
                    आँखे तेरी
क्यू इनमे इश्के मेहरबान नजर आता हे
क्यू इनमे कोई तूफान नजर आता हे
इबादते की चॊखटो पर मगर
क्यू इनमे ही भगवान नजर आता हे
मे चाह कर भी खुद को रोक नही पाता हू
इनकी ऒर खिँचा चला जाता हु
                      आँखे तेरी

इनका ही दीदार चाहता हु
इन्ही मे सँसार चाहता हु
मे सोचता बस इनको हु
मे चाहता बस इनको हु
मे जानता बस इनको हु
मे माँगता बस इनको हु
ओर इनमें ही डूब जाना चाहता हु
खो जाना चाहता हु
इन्ही का हो जाना चाहता हु
    ये आँखे प्याली हे रस कि
    जरुरत हे तो कस्मकश कि
    ये कस्तियो का दरिया हे
    तेरे दिल को पाने का जरिया हे
चाँद ऒर तारे हे ये आँखे
सोने कि दीवारें हे ये आँखे
मिनारे हे सँगेमरमर कि
उडते गुब्बारे हे ये आँखे
चाँदनी हे रात कि
लय मे उतरी रागिनी हे ये आँखे
ये शाम हे
ये राग हे
ये साज हे
ये राज हे
रुठ जाए तो आसु कि धारा हे
एक अनोखा ख्वाब हे
प्यार से भी प्यारी ऒर
गुस्से मे तेजाब हे ये आँखे
    अब इन्ही मे खोकर रेह जाय
    इन्ही का होकर रेह जाय
    इनसे ही ये आशियाना हे
    ऒर ये दीवाना हे
परियो से पलक
ऒर इनकी मेहक
जन्नतो से बढकर
इनकी एक झलक हे
इन्ही से शुरु हे बाते मेरी
बीते यादों मे रातें मेरी
जब हो ये परे दिल से
रुकने लगे साँसे मेरी
                        आँखे तेरी

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