बुधवार, 20 अक्तूबर 2021

शहिदे आजम

फांसी से पहले भगत सिंह आखिरी बार अपनी मां से मिले थे। तब उन्होंने ने अपनी मां विद्यावती से कहा था, ‘मेरा शव लेने आप नहीं आना और कुलबीर (छोटा भाई) को भेज देना, क्योंकि यदि आप आएंगी तो रो पड़ेंगी और मैं नहीं चाहता कि लोग यह कहें कि भगत सिंह की मां रो रही है।
’ जेल में मिलने के लिए आने वाली अपनी मां से भगत सिंह अक्सर कहा करते थे कि वह रोएं नहीं, क्योंकि इससे देश के लिए उनके बेटे द्वारा किए जा रहे बलिदान का महत्व कम होगा।
इंक़लाब ज़िंदाबाद ✊🔥
#शहीदे_आज़म

मंगलवार, 19 अक्तूबर 2021

16 सिद्धियाँ

16 सिद्धियाँ
〰️〰️🌼🌼〰️〰️
1. वाक् सिद्धि : - 👇

जो भी वचन बोले जाए वे व्यवहार में पूर्ण हो, वह वचन कभी व्यर्थ न जाये, प्रत्येक शब्द का महत्वपूर्ण अर्थ हो, वाक् सिद्धि युक्त व्यक्ति में श्राप अरु वरदान देने की क्षमता होती हैं.

 2. दिव्य दृष्टि सिद्धि:-👇

 दिव्यदृष्टि का तात्पर्य हैं कि जिस व्यक्ति के सम्बन्ध में भी चिन्तन किया जाये, उसका भूत, भविष्य और वर्तमान एकदम सामने आ जाये, आगे क्या कार्य करना हैं, कौन सी घटनाएं घटित होने वाली हैं, इसका ज्ञान होने पर व्यक्ति दिव्यदृष्टियुक्त महापुरुष बन जाता हैं.

3. प्रज्ञा सिद्धि : -👇

प्रज्ञा का तात्पर्य यह हें की मेधा अर्थात स्मरणशक्ति, बुद्धि, ज्ञान इत्यादि! ज्ञान के सम्बंधित सारे विषयों को जो अपनी बुद्धि में समेट लेता हें वह प्रज्ञावान कहलाता हें! जीवन के प्रत्येक क्षेत्र से सम्बंधित ज्ञान के साथ-साथ भीतर एक चेतनापुंज जाग्रत रहता हें.

 4. दूरश्रवण सिद्धि :-👇

 इसका तात्पर्य यह हैं की भूतकाल में घटित कोई भी घटना, वार्तालाप को पुनः सुनने की क्षमता.

 5. जलगमन सिद्धि:-👇

 यह सिद्धि निश्चय ही महत्वपूर्ण हैं, इस सिद्धि को प्राप्त योगी जल, नदी, समुद्र पर इस तरह विचरण करता हैं मानों धरती पर गमन कर रहा हो.

 6. वायुगमन  सिद्धि :-👇

इसका तात्पर्य हैं अपने शरीर को सूक्ष्मरूप में परिवर्तित कर एक लोक से दूसरे लोक में गमन कर सकता हैं, एक स्थान से दूसरे स्थान पर सहज तत्काल जा सकता हैं.

 7. अदृश्यकरण सिद्धि:-👇

 अपने स्थूलशरीर को सूक्ष्मरूप में परिवर्तित कर अपने आप को अदृश्य कर देना! जिससे स्वयं की इच्छा बिना दूसरा उसे देख ही नहीं पाता हैं.

 8. विषोका सिद्धि :-👇

 इसका तात्पर्य हैं कि अनेक रूपों में अपने आपको परिवर्तित कर लेना! एक स्थान पर अलग रूप हैं, दूसरे स्थान पर अलग रूप हैं.

 9. देवक्रियानुदर्शन सिद्धि :-👇

 इस क्रिया का पूर्ण ज्ञान होने पर विभिन्न देवताओं का साहचर्य प्राप्त कर सकता हैं! उन्हें पूर्ण रूप से अनुकूल बनाकर उचित सहयोग लिया जा सकता हैं.

10. कायाकल्प सिद्धि:-👇

 कायाकल्प का तात्पर्य हैं शरीर परिवर्तन! समय के प्रभाव से देह जर्जर हो जाती हैं, लेकिन कायाकल्प कला से युक्त व्यक्ति सदैव रोगमुक्त और यौवनवान ही बना रहता हैं.

11. सम्मोहन सिद्धि :-👇

 सम्मोहन का तात्पर्य हैं कि सभी को अपने अनुकूल बनाने की क्रिया! इस कला को पूर्ण व्यक्ति मनुष्य तो क्या, पशु-पक्षी, प्रकृति को भी अपने अनुकूल बना लेता हैं.

 12. गुरुत्व सिद्धि:-👇

 गुरुत्व का तात्पर्य हैं गरिमावान! जिस व्यक्ति में गरिमा होती हैं, ज्ञान का भंडार होता हैं, और देने की क्षमता होती हैं, उसे गुरु कहा जाता हैं! और भगवन कृष्ण को तो जगद्गुरु कहा गया हैं.

 13. पूर्ण पुरुषत्व सिद्धि:-👇

 इसका तात्पर्य हैं अद्वितीय पराक्रम और निडर, एवं बलवान होना! श्रीकृष्ण में यह गुण बाल्यकाल से ही विद्यमान था! जिस के कारन से उन्होंने ब्रजभूमि में राक्षसों का संहार किया! तदनंतर कंस का संहार करते हुए पुरे जीवन शत्रुओं का संहार कर आर्यभूमि में पुनः धर्म की स्थापना की.

 14. सर्वगुण संपन्न सिद्धि:-👇

  जितने भी संसार में उदात्त गुण होते हैं, सभी कुछ उस व्यक्ति में समाहित होते हैं, जैसे – दया, दृढ़ता, प्रखरता, ओज, बल, तेजस्विता, इत्यादि! इन्हीं गुणों के कारण वह सारे विश्व में श्रेष्ठतम व अद्वितीय मन जाता हैं, और इसी प्रकार यह विशिष्ट कार्य करके संसार में लोकहित एवं जनकल्याण करता हैं.

 15. इच्छा मृत्यु सिद्धि :-👇

 इन कलाओं से पूर्ण व्यक्ति कालजयी होता हैं, काल का उस पर किसी प्रकार का कोई बंधन नहीं रहता, वह जब चाहे अपने शरीर का त्याग कर नया शरीर धारण कर सकता हैं.

16. अनुर्मि सिद्धि:-👇

 अनुर्मि का अर्थ हैं. जिस पर भूख-प्यास, सर्दी-गर्मी और भावना-दुर्भावना का कोई प्रभाव न हो.
〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️

सोमवार, 18 अक्तूबर 2021

नादम्

*डमरू की नाद ( आवाज ) में अद्भूत क्षमतायें*
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
सनातन धर्म संस्कृति मानता है कि ध्वनि और शुद्ध प्रकाश से ही ब्रह्मांड की रचना हुई है! आत्मा इस जगत का कारण है! सनातन धर्म में कुछ ध्वनियों को पवित्र और रहस्यमयी माना गया है, जैसे- मन्दिर की घंटी, शंख, बांसुरी, वीणा, मंजीरा, करतल, पुंगी या बीन, ढोल, नगाड़ा, मृदंग, चिमटा, तुनतुना, घाटम, दोतार, तबला और डमरू!      
       
डमरू या डुगडुगी एक छोटा संगीत वाद्य यंत्र होता है! डमरू को हिन्दू, तिब्बती और बौद्ध धर्म में बहुत महत्व दिया गया है! भगवान शंकर के हाथों में डमरू को दर्शाया गया है! साधु और मदारियों के पास अक्सर डमरू मिल जाएगा!

शंकु आकार के बने इस ढोल के बीच के तंग हिस्से में एक रस्सी बंधी होती है जिसके पहले और दूसरे सिरे में पत्थर या कांसे का एक-एक टुकड़ा लगाया जाता है! जब डमरू को मध्य से पकड़ कर हिलाया जाता है तो यह डला (टुकड़ा) पहले एक मुख की खाल पर प्रहार करता है और फिर उलट कर दूसरे मुख पर, जिससे 'डुग-डुग' की आवाज उत्पन्न होती है, इसीलिए इसे डुगडुगी भी कहते हैं!   
  
डमरू शिव का वाद्य हे, जो ब्रह्म नाद और भक्ति का प्रतीक है शिवजी जब डमरू बजाते हैं तब उसमे से १४ प्रकार के माहेश्वर सूत्र प्रकट होते हैं, शिव बताते हैं कि मेरा भक्त ब्रह्म में लीन होना चाहिए ।
                      
*डमरू की १४ आवाजें* 
~~~~~~~~~~~~~~~
वेबदुनिया की रिसर्च अनुसार जब डमरू बजता है तो उसमें से १४ प्रकार की ध्वनि निकलती हैं! पुराणों में इसे मंत्र माना गया! यह ध्वनि इस प्रकार है:- 'अइउण्‌, त्रृलृक, एओड्, ऐऔच, हयवरट्, लण्‌, ञमड.णनम्‌, भ्रझभञ, घढधश्‌, जबगडदश्‌, खफछठथ, चटतव, कपय्‌, शषसर, हल्‌ ! उक्त आवाजों में सृजन और विध्वंस दोनों के ही स्वर छिपे हुए हैं! यही स्वर व्याकरण की रचना के सूत्र धार भी है! सद्ग्रन्थों की रचना भी इन्ही सूत्रों के आधार पर हुई !                                  

*डमरू बजने का लाभ*
~~~~~~~~~~~~~~~
पुराणानुसार भगवान शिव नटराज के डमरू से कुछ अचूक और चमत्कारी मंत्र निकले थे! कहते हैं कि यह मंत्र कई बीमारियों का इलाज कर सकते हैं! कोई भी कठिन कार्य हो शीघ्र सिद्धि प्राप्त होती है! उक्त मंत्र या सूत्रों के सिद्ध होने के बाद जपने से सर्प, बिच्छू के काटे का जहर उतर जाता है! ऊपरी बाधा हट जाती है! माना जाता है कि इससे ज्वर, सन्निपात आदि को भी उतारा जा सकता है!

 *रहस्य*
~~~~~~
डमरू की ध्वनि जैसी ही ध्वनि हमारे अन्दर भी बजती रहती है, जिसे अ, उ और म या ओम् कहते हैं! हृदय की धड़कन व ब्रह्माण्ड की आवाज में भी डमरू के स्वर मिश्रित हैं!

डमरू की आवाज लय में सुनते रहने से मस्तिष्क को शांति मिलती है और हर तरह का तनाव हट जाता है! इसकी आवाज से आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा व शक्तियों का पलायन हो जाता है!

डमरू भगवान शिव का वाद्ययंत्र ही नहीं यह बहुत कुछ है! इसे बजाकर भूकम्प लाया जा सकता है व बादलों में भरा पानी भी बरसाया जा सकता है! डमरू की आवाज यदि लगातर एक जैसी बजती रहे तो इससे चारों ओर का वातावरण बदल जाता है! 

यह बहुत भयानक भी हो सकता है और सुखदायी भी! डमरू के भयानक आवाज से लोगों के हृदय भी फट सकते हैं! कहते हैं कि भगवान शंकर इसे बजाकर प्रलय भी ला सकते हैं! यह बहुत ही प्रलयंकारी आवाज सिद्ध हो सकती है! डमरू की आवाज में अनेक गुप्त रहस्य छिपे हुए हैं! महादेव की पूजार्चना में डमरु की ध्वनि का विशेष महत्त्व हैं!                        

*।। ॐ हर हर महादेव ।।*
~~~~~~~~~~~~

रविवार, 10 अक्तूबर 2021

आँखे तेरी

कितनी खुबसुरत हे जॆसे कोई नूर
देती हे दिलपर मेरे प्यार का दस्तूर
दुनिया के अजुबो को
कर देती हे चकनाचूर
                    आँखे तेरी

एक उम्मीद लिए हुए हे
एक खुशी लिए हुए हे
एक याद सी हे
एक ख्वाब सी हे
रँगीन हे वो
एक राग सी हे
चेहरा भी वो
ऒर आईना भी हे
देखा नही मगर हुर सी हे
पास होकर भी दुर सी हे
                    आँखे तेरी
क्यू इनमे इश्के मेहरबान नजर आता हे
क्यू इनमे कोई तूफान नजर आता हे
इबादते की चॊखटो पर मगर
क्यू इनमे ही भगवान नजर आता हे
मे चाह कर भी खुद को रोक नही पाता हू
इनकी ऒर खिँचा चला जाता हु
                      आँखे तेरी

इनका ही दीदार चाहता हु
इन्ही मे सँसार चाहता हु
मे सोचता बस इनको हु
मे चाहता बस इनको हु
मे जानता बस इनको हु
मे माँगता बस इनको हु
ओर इनमें ही डूब जाना चाहता हु
खो जाना चाहता हु
इन्ही का हो जाना चाहता हु
    ये आँखे प्याली हे रस कि
    जरुरत हे तो कस्मकश कि
    ये कस्तियो का दरिया हे
    तेरे दिल को पाने का जरिया हे
चाँद ऒर तारे हे ये आँखे
सोने कि दीवारें हे ये आँखे
मिनारे हे सँगेमरमर कि
उडते गुब्बारे हे ये आँखे
चाँदनी हे रात कि
लय मे उतरी रागिनी हे ये आँखे
ये शाम हे
ये राग हे
ये साज हे
ये राज हे
रुठ जाए तो आसु कि धारा हे
एक अनोखा ख्वाब हे
प्यार से भी प्यारी ऒर
गुस्से मे तेजाब हे ये आँखे
    अब इन्ही मे खोकर रेह जाय
    इन्ही का होकर रेह जाय
    इनसे ही ये आशियाना हे
    ऒर ये दीवाना हे
परियो से पलक
ऒर इनकी मेहक
जन्नतो से बढकर
इनकी एक झलक हे
इन्ही से शुरु हे बाते मेरी
बीते यादों मे रातें मेरी
जब हो ये परे दिल से
रुकने लगे साँसे मेरी
                        आँखे तेरी

शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2021

उडने निकला हुँ

पेर रहते नही जमीन पर
सबसे कुछ केहने निकला हु
रेहना नही यहा अब मुजे
खुले आसमान मे उडने निकला हु


जँजीरे सी हाथो मे हो जेसे
नदियां सब आँखो मे हो जेसे
दरिया मे फिर भी बेहने निकला हु
खुले आसमान मे उडने निकला हु

प्रेम कि भक्ति मे डोलने को
दिल के राज खोलने को
इबादत्त कि सिडिया चढने निकला हु
खुले आसमान मे उडने निकला हु

पता हे मुजे कि लुटने निकला हु
खुले आसमान मे उडने निकला हु

अच्छा गाना हॆ "चार बॊतल वोडका"

मित्रो,

आप सभी ने अभी अभी निकली फिल्म रागिनी एम एम एस टू के गीत व द्रश्य देखे होँगे। अगर नही देखे तो एक दफा देख लिजिए कुछ समज मे आ जाएगा।

आज सवॆरे सवेरॆ निकली एक बारात मे ये गीत धुम धाम से बज रहा था,बाराती शराबियो कि तरह नाच रहे थे वो भी जॊर जॊर से चिल्लाते हुए।जी हाँ वो गाना हे पँजाब के लाडले व डर्टी पुत्र यो यो हनीसिह का चार बॊतल वोडका।

कहते हे कि अकेली शराब मे मजा नही आता इसलिए वोडके के साथ शबाब अर्थात सन्नी लियोन जी को प्रस्तुत किया गया हे। वाह भाई फिल्म निर्माता का भी जवाब नही। अब तक के सारे अवार्ड ईन्ही को मिलने चाहिए। रही बात हनीसिहजी कि तो उन्हॆ नॆता बना देना चाहिए ताकि सँसद मे कम से कम चार बोतल वोडका तो बिना विवाद के गाया जाए।

वॆसे इन्होने बडी मेहनत से ये गाना बनाया होगा। इसे सुनकर हर भारतीय रॊज कि चार पिएगा तो रॊज कि छ:-सात अरब वोडके कि बॊतले खाली हॊँगी। एसे मे अगर हनीसिह जी का राज हुआ तो अगला गीत आठ बॊतल वोडका बना देँगे जिससे देश कि अच्छी खासी तरक्की हो जाएगी। एसे राज मे सन्नी जी हमारी वित्त मँत्री होगी,जो भी पॆसे माँगने जाएगा उसे वे चार पिलाकर लॊटाती रहॆगी।

धीरे धीरे जब वॊडका आने लगेगा ऒर बॊतले जाने लगेगी तो चीन जॆसा कॊई डुबते पर पत्थर डालने वाला वहा से सिधि पाईपलाईन लगाएगा,वोडके कि। फिर अपने हनीसिहजी चार-आठ से बाल्टी भर के वोडका पर आ जाएँगे। जिस तरह से आज के नॊजवान उनके गीतो पर नाचते हे उससे लगता हे कि यह दिन भी दुर नही। कितनी लेडिज सन्नीजी के गीतो पर खुब कमर हिलाती हे चाहे टुट ना जाए।

खॆर देखते हे आगे आगे नए जमाने के कितने प्रकार आते हे।


वॆसे हनीसिहजी का ये गीत सुनकर बुराई भी कोई नही करता, सब मेरी तरह तारिफ हि करते हे ऒर केहते हे "अच्छा गाना हे 'चार बॊतल वोडका,काम मेरा रोजका'।"


शहिदे आजम

फांसी से पहले भगत सिंह आखिरी बार अपनी मां से मिले थे। तब उन्होंने ने अपनी मां विद्यावती से कहा था, ‘मेरा शव लेने आप नहीं आना और कुलबीर (छोटा...